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चरैवेति चरैवेति

चरैवेति-चरैवेति, यही तो मंत्र है अपना ।
नहीं रुकना, नहीं थकना, सतत चलना सतत चलना ।
यही तो मंत्र है अपना, शुभंकर मंत्र है अपना ॥ध्रु॥


                                हमारी प्रेरणा भास्कर, है जिनका रथ सतत चलता । 
                                युगों से कार्यरत है जो, सनातन है प्रबल ऊर्जा । 
                                गति मेरा धरम है जो, भ्रमण करना भ्रमण करना । 
                                यही तो मंत्र है अपना, शुभंकर मंत्र है अपना ॥१॥ 


हमारी प्रेरणा माधव, है जिनके मार्ग पर चलना ।
सभी हिन्दू सहोदर हैं, ये जन-जन को सभी कहना ।
स्मरण उनका करेंगे और, समय दे अधिक जीवन का ।
यही तो मंत्र है अपना, शुभंकर मंत्र है अपना ॥२॥


                                हमारी प्रेरणा भारत, है भूमि की करें पूजा । 
                                सुजल-सुफला सदा स्नेहा, यही तो रूप है उसका । 
                                जिएं माता के कारण हम, करें जीवन सफल अपना । 
                                यही तो मंत्र है अपना, शुभंकर मंत्र है अपना ॥३॥ 


चरैवेति-चरैवेति, यही तो मंत्र है अपना ।
नहीं रुकना, नहीं थकना, सतत चलना सतत चलना ।
यही तो मंत्र है अपना, शुभंकर मंत्र है अपना ॥




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